डल्लेवाल को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पंंजाब सरकार को लगाई फटकार

नई दिल्ली- सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि 26 नवंबर से आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल को चिकित्सा सहायता और अस्पताल में भर्ती कराने के उसके आदेश उनका अनशन तुड़वाने के लिए नहीं बल्कि उनके स्वास्थ्य की भलाई के लिए थे।
जस्टिस सूर्यकांत और सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि दल्लेवाल चिकित्सा सहायता के तहत अपनी भूख हड़ताल जारी रख सकते हैं।
इसमें कहा गया कि ऐसा प्रतीत होता है कि पंजाब सरकार के अधिकारियों द्वारा मीडिया में जानबूझकर यह धारणा बनाने का प्रयास किया जा रहा है कि अदालत दल्लेवाल पर अनशन तोडऩे के लिए दबाव डाल रही है।
पंजाब के महाधिवक्ता गुरमिंदर सिंह से पीठ ने कहा, इसलिए वह (डल्लेवाल) शायद अनिच्छुक हैं। हमारे निर्देश थे कि उनका अनशन न तोड़ा जाए। हमने केवल इतना कहा कि उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाए और अस्पताल में भर्ती होने के बाद भी वह अपना शांतिपूर्ण विरोध जारी रख सकते हैं। आपको उन्हें इस दृष्टिकोण से मनाना होगा। अस्पताल में शिफ्ट होने का मतलब यह नहीं है कि वह अपना अनशन जारी नहीं रखेंगे। ऐसी चिकित्सा सुविधाएं हैं जो सुनिश्चित करेंगी कि उनके जीवन को कोई नुकसान न पहुंचे। यही हमारी एकमात्र चिंता है। किसान नेता के तौर पर उनका जीवन कीमती है। वह किसी राजनीतिक विचारधारा से जुड़े नहीं हैं और वह केवल किसानों के हित का ध्यान रख रहे हैं। न्यायमूर्ति कांत ने उन लोगों पर भी आपत्ति जताई जो इस मुद्दे को जटिल बनाने के लिए ‘गैर-जिम्मेदाराना बयान’ दे रहे थे। पीठ ने कहा, कुछ लोग गैर-जिम्मेदाराना बयान दे रहे हैं। हम जानते हैं। कुछ तथाकथित किसान नेता हैं जो चीजों को जटिल बनाने के लिए गैर-जिम्मेदाराना बयान दे रहे हैं। इस मामले में उनकी क्या नेकनीयती है, इसकी जांच की जानी चाहिए। इसके बाद पीठ ने पंजाब के मुख्य सचिव और पंजाब के पुलिस महानिदेशक के खिलाफ 20 दिसंबर के आदेश का पालन नहीं करने के लिए दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई सोमवार के लिए तय की।
इसने पंजाब के मुख्य सचिव को 20 दिसंबर को पारित अपने निर्देशों के संबंध में अनुपालन हलफनामा दाखिल करने को भी कहा। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के संयोजक दल्लेवाल फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (रूस्क्क) की कानूनी गारंटी सहित किसानों की मांगों को स्वीकार करने के लिए केंद्र पर दबाव बनाने के लिए खनौरी सीमा पर आमरण अनशन पर हैं। शीर्ष अदालत पंजाब सरकार से यह सुनिश्चित करने के लिए कह रही है कि दल्लेवाल को आमरण अनशन के दौरान उचित चिकित्सा सहायता मिले।
शीर्ष अदालत ने अधिवक्ता गुनिन्दर कौर गिल द्वारा दायर एक नई याचिका पर भी सुनवाई की, जिसमें कहा गया था कि 9 दिसंबर, 2021 को किसानों ने केंद्र सरकार के आश्वासन के साथ अपना साल भर का आंदोलन स्थगित कर दिया था कि उनकी मांगें पूरी की जाएंगी। याचिका में केंद्र से 9 दिसंबर, 2021 के अपने प्रस्ताव का अनुपालन करने के निर्देश देने की मांग की गई है। पीठ ने निर्देश दिया कि याचिका की एक प्रति महासचिव तुषार मेहता को दी जाए, जो केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए थे, और वह याचिका में उठाए गए मुद्दों पर निर्देश लेंगे।